जिसे किसी के प्रति प्रेम होता है, उसे उसी से भय भी होता है, प्रेम ही सारे दुखों का मूल है इसलिए प्रेम बंधनों को तोड़कर सुखपूर्वक रहना चाहिए। You Might Also Like “ईश्वर मूर्तियों में नहीं है। आपकी भावनाएँ ही आपका ईश्वर है। आत्मा आपका मंदिर है।” December 11, 2021 “मनुष्य की वाणी ही विष और अमृत की खान है।” December 24, 2021 “जो जिस कार्ये में कुशल हो उसे उसी कार्ये में लगना चाहिए।” December 11, 2021